The school reopens tomorrow means 17 jan 2018.
भावार्थ नीड़ का निर्माण--------- मुस्कान फिर फिर सन्दर्भ: प्रस्तुत काव्य पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक "वाणी" के 'नीड़ का निर्माण फिर-फिर 'नामक कविता से ली गई है इसके रचयिता श्री हरिवंश राय 'बच्चन' जी हैं। प्रसंग : प्रस्तुत काव्य पंक्तियों के माध्यम से कवि ने घोसले के निर्माण द्वारा बच्चों के जीवन की कठिनाइयों से लड़ने और सब कुछ नष्ट हो जाने पर भी फिर से नया निर्माण करने की प्रेरणा दी है। भावार्थ हरिवंशराय बच्चन जी कहते हैं कि बार-बार प्रेम की पुकार लगाता हुआ चहचहाता हुआ पक्षी एक नहीं कई बार अपने घोंसले निर्माण करता है जब वह अपने घोंसले को घास फूस और तिनको की सहायता से बना कर तैयार करता है तभी अचानक तेज़ तूफानी हवा चलने लगती है और आकाश में अचानक अंधेरा छा जाता है और बादल धरती को इस प्रकार चारों तरफ से घेर लेते हैं कि दिन में रात होने का अनुमान होने लगता है । आकाश साफ ना होने कारण चंद्रमा की किरणे धरती पर नहीं पहुंच पाती और रात पहले की अपेक्षा बहुत काली हो जाती है। भयंकर काली रा...
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